नई दिल्ली, सुप्रीम कोर्ट के तलाकशुदा मुस्लिम महिलाओं को सीआरपीसी की धारा 125 के तहत याचिका दायर कर अपने पति से भरण पोषण के लिए भत्ता मांगने के फैसले पर ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड (एआईएमपीएलबी) ने ऐतराज जताया है। रविवार का हुई बोर्ड बैठक में कई प्रस्ताव पेश किए गए, जिन पर मौजूद सभी 51 सदस्यों ने सहमति जताई।
एआईएमपीपी प्रवक्ता सैयद कासिम रसूल इलियास ने कहा, बोर्ड ने कुछ प्रस्ताव पास किए। इसमें मुस्लिम महिलाओं को गुजारा भत्ता देने के सुप्रीम कोर्ट का फैसले भी शामिल है। उन्होंने कहा कि कोर्ट का फैसला शरिया कानून से मतभेद पैदा करता है। मुसलमान शरिया कानून का पाबंद है। वह ऐसा कोई काम नहीं कर सकते, जो इससे मेल न खाता हो। संविधान के अनुच्छेद-25 में हमें अपने मजहब के अनुसार जिंदगी गुजारने की आजादी दी गई है, ये हमारा मौलिक अधिकार है। यह फैसला महिलाओं के लिए मुसीबत बन जाएगा। वहीं, 2024 के लोकसभा चुनावों के नतीजों पर बोर्ड प्रवक्ता ने कहा कि 2024 लोकसभा चुनाव के नतीजों से साफ हो गया कि लोगों ने नफरत के एजेंडे के खिलाफ वोट दिया, इसलिए भाजपा बहुमत का आंकड़ा नहीं छू पाई।
इन प्रस्तावों पर हुई चर्चा बैठक में सुप्रीम कोर्ट के फैसले के अलावा समान नागरिक संहिता (यूसीसी) पर चर्चा हुई। कहा गया कि यूसीसी के जरिए देश की विविधता में एकता को खत्म करने की कोशिश की जा रही है। केंद्र और राज्यों को यूसीसी की दिशा में आगे बढ़ने से बचना चाहिए। तय हुआ कि उत्तराखंड के यूसीसी कानून को जल्द चुनौती देंगे। वक्फ की संपत्ति को लेकर भी बोर्ड में प्रस्ताव आया। फैसले को पारित कर बोर्ड ने कहा कि वक्फ अधिनियम को खत्म करने की कोशिश होगी, तब हम इसका विरोध करेंगे। प्रदीप शुक्ल