दरअसल, 2012 के यूपी विधानसभा चुनावों में जब समाजवादी पार्टी ने अकेले दम पर 224 सीटें जीतने का कारनामा किया था, तब यह उसके सोशल इंजीनियरिंग का ही करिश्मा माना गया था।
पीडीए (पिछड़ा, दलित और अल्पसंख्यक) कार्ड खेलकर समाजवादी पार्टी नेता अखिलेश यादव ने लोकसभा चुनावों में भाजपा को करारी शिकस्त दी थी। इसीलिए जब उत्तर प्रदेश विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष चुनने की बात आई, तो यही कहा जा रहा था कि किसी दलित या पिछड़े को यह महत्त्वपूर्ण पद देकर अखिलेश यादव अपने इस जनाधार को और ज्यादा मजबूत करने की कोशिश कर सकते हैं। शिवपाल यादव और इंद्रजीत सरोज को इस पद के लिए सबसे तगड़ा दावेदार भी माना जा रहा था। लेकिन अखिलेश यादव ने नेता प्रतिपक्ष पद के लिए ब्राह्मण नेता माता प्रसाद पांडेय का नाम आगे कर लोगों को चौंका दिया है। यानी पीडीए के बाद अब अखिलेश यादव की नजर ब्राह्मण वोट बैंक पर है। तो क्या यह ब्राह्मण कार्ड 2027 के विधानसभा चुनावों को ध्यान में रखकर खेला गया है? इशारे तो इसी ओर हैं।